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अष्टांग योग

अष्टांग, जिसका अर्थ है "आठ अंग", योग के मूल स्वरूप को परिभाषित करता है। महर्षि पतंजलि योग को एक समग्र अभ्यास के रूप में प्रस्तुत करते हैं, जो शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक शुद्धि सहित सम्पूर्ण कल्याण की दिशा में प्रयास करता है। यह केवल कुछ अंगों का समूह नहीं है, बल्कि एक ऐसा बहुआयामी और परस्पर जुड़ा हुआ मार्ग है, जहाँ हर आयाम को एक साथ अपनाना आवश्यक होता है। चित्तवृत्ति निरोध — अर्थात् विचारों की लहरों को शांत करना — मन को स्थिर करने की एक गहन समझ प्रदान करता है। जब हम मानसिक स्थिरता प्राप्त करते हैं, तब हम अपने उच्चतर स्वरूप (Higher Self) का अनुभव कर सकते हैं और परम सत्य (Absolute Reality) से जुड़ने का मार्ग प्रशस्त होता है।

8 Dimensions of Ashtang Yog
01
यम पाँच सामाजिक नियम
अहिंसा :

कर्म, वचन और विचारों में अहिंसा का पालन

सत्य :

नियत में सत्यता और उच्चतम सत्य में स्थित रहना

अस्तेय :

चोरी न करना

ब्रह्मचर्य :

दैवी आचरण

अपरिग्रह :

अनावश्यक वस्तुओं का संचय न करना और दूसरों की वस्तुओं की इच्छा न करना

समाधि :

चेतना की सर्वोच्च अवस्था

02
नियम पाँच व्यक्तिगत नियम
शौच :

शरीर और मन की शुद्धता

Benefits

स्वास्थ्य और मानसिक लाभ तो अनुभव किए ही जा सकते हैं, लेकिन अष्टांग योग के अभ्यास का परम उपहार है — समाधि में आत्म-साक्षात्कार।

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